अविश्वास तेरा ही सहारा

  रवि अरोड़ा की कलम से साभार दस साल के आसपास रही होगी मेरी उम्र जब मोहल्ले में पहली बार जनगणना वाले आये । ये मुई जनगणना क्या होती है मेरी माँ को नहीं पता था । मोहल्ले में तरह तरह की अफ़वाहें थीं । कोई कह रहा था कि जिसके बच्चे दो से ज़्यादा …

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सच्चे और अच्छे लेखक का चला जाना

  वे कुलदीप नैय्यर और खुशवंत सिंह जैसे धनवान, पद वान भले न हो लेकिन कलम के धनवान तो उनसे कम न थे। उनकी लोकप्रियता कमलेश्वर जैसी भले न रही हो, लेकिन सादगी, सच्चाई में उनसे भी आगे थे। लिखने का जो हुनर उनमें था वह औरों से अलग ही था। या यूं कहें विशेष …

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